मेरे मन के कोटर मे बैठे..... नर्म, कोमल व अनछुए भाव..... जिन्हें सँवारने और अलंकृत करने में, एक मीठी सी तृप्ति व परम सुख की अनुभूति होती है..... जो गाहे-बगाहे सुंदर-सुंदर शब्दों मे ढल कर पन्नों पर उतर आते हैं........!!!!!!!! -आभा खरे
चार हाइकु
1)रास पूर्णिमा लिए शरद गंध छू गयी हवा !2)पुनों का चाँद लपका समन्दर अंक में भरा !3)चखती ओस अमृत का प्रसाद बांटें कौमुदी !4)जीमने बैठे अमृत का प्रसाद ओस के कण !
1)
रास पूर्णिमा
लिए शरद गंध
छू गयी हवा !
2)
पुनों का चाँद
लपका समन्दर
अंक में भरा !
3)
चखती ओस
अमृत का प्रसाद
बांटें कौमुदी !
4)
जीमने बैठे
ओस के कण !