मेरे मन के कोटर मे बैठे..... नर्म, कोमल व अनछुए भाव..... जिन्हें सँवारने और अलंकृत करने में, एक मीठी सी तृप्ति व परम सुख की अनुभूति होती है..... जो गाहे-बगाहे सुंदर-सुंदर शब्दों मे ढल कर पन्नों पर उतर आते हैं........!!!!!!!! -आभा खरे
No comments:
Post a Comment