Tuesday, 30 September 2014

आदिशक्ति माँ




शक्ति का हर स्वरुप माँ का है रूप युगों युगों से ही सदानीरायें भी कहलाती हैं माँ ....! जब-जब हुई चर्चा शक्ति की उभर आई तस्वीर सामने स्त्री की और मन की आँखों से जब देखो तो हर स्त्री रूप में झलकती है माँ ...! शक्ति रूपा माँ समस्त सृष्टि की जननी जब-जब पुरुष ने आदर और सम्मान भाव को भूल स्त्री को भोग्या समझा तब-तब शक्ति रूपा बनी है संहारिणी माँ ....! एक शक्ति स्वरूपा बसती है हमारे घर में बनकर हमारी माँ प्रेम और ममता की मूरत बिना कहे समझ जाती है हमारी भूख और जरूरत सुख-दुःख सब जान लेती रहती परेशानियों से अवगत जीवन के कठिन दौर में दोस्त बन साथ निभाती माँ ...! माँ तुझे प्रणाम !!!





Monday, 22 September 2014

उजाले




ज़मीं अंधेरों की है

तो क्या है ..
.
मुझे ये यक़ीन है

कि !

इस बार

लम्बे समय तक

ठहरेंगे उजाले

क्योंकि !

हर दिन,

एक नयी सुबह के साथ

उम्मीद की मिटटी में

रोप देती हूँ

मैं इक नन्हा पौधा

रौशनी का ....!!!!

एक हौसला अब जगमगाने को हैं )