शक्ति का हर स्वरुप माँ का है रूप युगों युगों से ही सदानीरायें भी कहलाती हैं माँ ....! जब-जब हुई चर्चा शक्ति की उभर आई तस्वीर सामने स्त्री की और मन की आँखों से जब देखो तो हर स्त्री रूप में झलकती है माँ ...! शक्ति रूपा माँ समस्त सृष्टि की जननी जब-जब पुरुष ने आदर और सम्मान भाव को भूल स्त्री को भोग्या समझा तब-तब शक्ति रूपा बनी है संहारिणी माँ ....! एक शक्ति स्वरूपा बसती है हमारे घर में बनकर हमारी माँ प्रेम और ममता की मूरत बिना कहे समझ जाती है हमारी भूख और जरूरत सुख-दुःख सब जान लेती रहती परेशानियों से अवगत जीवन के कठिन दौर में दोस्त बन साथ निभाती माँ ...! माँ तुझे प्रणाम !!!
Tuesday 30 September 2014
आदिशक्ति माँ
शक्ति का हर स्वरुप माँ का है रूप युगों युगों से ही सदानीरायें भी कहलाती हैं माँ ....! जब-जब हुई चर्चा शक्ति की उभर आई तस्वीर सामने स्त्री की और मन की आँखों से जब देखो तो हर स्त्री रूप में झलकती है माँ ...! शक्ति रूपा माँ समस्त सृष्टि की जननी जब-जब पुरुष ने आदर और सम्मान भाव को भूल स्त्री को भोग्या समझा तब-तब शक्ति रूपा बनी है संहारिणी माँ ....! एक शक्ति स्वरूपा बसती है हमारे घर में बनकर हमारी माँ प्रेम और ममता की मूरत बिना कहे समझ जाती है हमारी भूख और जरूरत सुख-दुःख सब जान लेती रहती परेशानियों से अवगत जीवन के कठिन दौर में दोस्त बन साथ निभाती माँ ...! माँ तुझे प्रणाम !!!
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सार्थक रचना
ReplyDeleteसुंदर वर्णन
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 2/10/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
हमारी भूख और जरूरत सुख-दुःख सब जान लेती रहती परेशानियों से अवगत जीवन के कठिन दौर में दोस्त बन साथ निभाती माँ ...!------- माँ का सच -- बहुत सुंदर
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
सादर
आभार आप सभी के स्नेह का .......
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