चंद माहिया
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1)
मन से मन डोर कसी
ऐसी लगन लागी
छवि उसकी नैनन बसी
कितनी बेदर्दी हैं
दिल की सब बातें
नैनों ने कह दी हैं
3)
कुछ कहते कुछ सुनते
उल्फ़त में हम तुम
कुछ ख्वाब हसीं बुनते
4)
मन से मन बात चली
मौसम बदल गया
रातें भी हैं मचली
5)
आलम ये मत पूछो
क्या -क्या जतन किये
मिलने को, मत पूछो
- आभा खरे
आहा ब्लॉग जगत में पुनः पदार्पण की बधाई 💐बेहद सुंदर माहिया सभी
ReplyDeleteजी नमस्ते अनीता जी ,
ReplyDeleteबहुत आभार।
उपस्थित रहूँगी।
\सादर।
वाह।
ReplyDeleteआलम ये मत पूछो
ReplyDeleteक्या -क्या जतन किये
मिलने को, मत पूछो
वाह क्या बात है
वाह बहुत सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसुंदर छंद।
ReplyDeleteसुंदर छंद।
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